शनि ढैय्या उपचार यन्त्र

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जिस प्रकार शनि की साढ़े साती से प्रभावित जातकों पर गृह क्लेश, धन हानि, रोग, घाटा आदि होता है, उसी प्रकार शनि की साढ़े साती में भी ये सब घटित होता है। जब शनि जन्म राशि से चतुर्थ अथवा अष्टम भाव में गोचर करेगा तो उस व्यक्ति पर शनि की दृष्टि रहेगी। इस बार हमें यह देखना होगा कि यदि जन्म राशि से चतुर्थ भाव में शनि आ जाये तो दूसरे भाव की स्थिति क्या होगी।

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मेष राशि से आच्छादित

गोचराष्ट: शनि के कर्क और वृश्चिक राशि में भ्रमण करने से मेष राशि के जातक पर शनि का प्रभाव रहेगा। 

जातक पर पहली ढैया या दूसरी ढैया प्रभावी होगी या नहीं, इसके लिए भी सावधानीपूर्वक उपाय करना चाहिए। 

पहले ढैया के उपाय: यदि मेष राशि के जातक पर शनि की पहली ढैया चल रही है, तो जातक निम्नलिखित उपाय करेगा। पैमाने।

  1. कौए को रोटी खिलाई जायेगी |
  2. साँप को भोजन दूँगा |
  3. हनुमानजी को लगेगा सिन्दूर का चोला |
  4. शनिवार को घोड़े की नाल की अंगूठी बनाकर मनाया जाएगा 

द्वितीय ढैया के लिए व्यवस्थाएँ: दूसरे ढैया के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएँ की जाएंगी—-

  1. हनुमानजी एक शेर की सवारी करेंगे और सुबह हनुमान चैरिएट पढ़ेंगे।
  2. ब्लैक नाटकों टीम प्रवाह पानी में होगी।
  3. मंदिर में जाओ और नट्स दे।
  4. अंधे व्यक्ति की देखभाल।

वृक्ष राशि की कुंडली


मासूम
: यदि शनि शेर और गाथा की यात्रा करता है, तो शनि का शाफ्ट उस राष्ट्र को प्रभावित करता है।

प्रथम ढैय्या के उपाय: यदि वृषभ राशि के जातक पर प्रथम ढैय्या का प्रभाव हो तो वह निम्नलिखित उपाय करेगा।

  1. नाव की कील को रिंग बनाकर पकड़ लिया जाएगा |
  2. कुएँ में कच्चा दूध डाला जायेगा काले कपड़े प्रकरण में नहीं |
  3. शाकाहारी रहेंगे मछली और मांस न खाएं। दूसरी खुराक के लिए उपाय: यदि दूसरी खुराक प्रभावित होती है, तो निम्नलिखित उपाय किए जाएंगे: घर में काला कुत्ता पनपेगा बहते पानी में मेवे बहायें |3| मंदिर में पूजा करने नंगे पाँव जाएँ |
  4. घर नहीं बनाऊंगा                  

मिथुन राशि  जन्म से


गोचरवश भ्रमण करते हुए जब शनि कन्या और मकर राशि में आते हैं तो शनि मिथुन राशि के जातकों को प्रभावित करते हैं। इसके लिए व्यवस्थाओं का विवरण नीचे दिया गया है

प्रथम भाव के उपाय: मिथुन राशि के जातक यदि प्रथम भाव में आते हैं तो निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-

  1. रोज सुबह स्नान के बाद हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा
  2. मछली आटा खायेगी
  3. शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
  4. काले कपड़े नहीं गिरेंगे

दूसरी ढैया के लिए व्यवस्थाएं: दूसरी ढैया के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएं करें—

  1. अंधों की सेवा करूंगा
  2. काले टीन की शाखाएँ नदी में प्रवाहित होंगी
  3. मन्दिर बादाम महल देगा
  4. मछली, मांस, शराब का सेवन न करें 

कर्क राशि  जन्म से


गोचराष्ट: जब शनि चढ़ कर कुम्भ राशि में आता है तो कर्क राशि के शनि की छाया रहती है। पहले और दूसरे ढैय्या के लिए की जाने वाली क्रियाएं नीचे दी गई हैं—

  1. घोड़े की नाल की अंगूठी धारण करेगी
  2. मांस, शराब, मछली का सेवन न करें
  3. कौए को रोटी खिलायी जायेगी
  4. शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाया जाएगा

द्वितीय भाव के लिए उपाय: जिस कर्क राशि के जातक के द्वितीय भाव में शनि हो उसे निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

  1. चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें
  2. मजदूरों की सेवा करूंगा
  3. पत्थर पर बैठकर दूध से स्नान कराएं
  4. हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा

लियो द्वारा कवर किया गया


जब शनि वृश्चिक और मीन राशि में गोचर करेगा तो सिंह राशि के जातकों पर शनि का प्रभाव रहेगा।

                                      — बताए गए उपाय करने से इस जातक को लाभ मिलेगा —–

प्रथम ढैय्या के उपाय: यदि सिंह राशि के जातक की प्रथम ढैय्या में शनि चल रहा हो तो निम्नलिखित उपाय एवं टोटके कारगर रहेंगे।

  1. हनुमानजी को सिन्दूर का चोला पहनाया जाएगा
  2. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा
  3. शनि यंत्र धारण करेगा
  4. कुएं में कच्चा दूध डालें

दूसरी परत के लिए व्यवस्थाएँ: इसके लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएँ अपनाएँ-

  1. मंदिर में बादाम का भोग लगेगा
  2. किसी पवित्र नदी में काले टिन की एक शाखा प्रवाहित होगी
  3. किसी अंधे व्यक्ति की सेवा करें और उसका आशीर्वाद लें

कन्या राशि जन्म से


जब शनि गोचरवश भ्रमण करते हुए धनु और मेष राशि पर आते हैं, तब कन्या राशि के जातकों पर शनि की दृष्टि रहती है। शनि की पहली दृष्टि चतुर्थ भाव में और दूसरी दृष्टि अष्टम भाव में होती है। अशुभ ग्रहों से बचने के लिए नीचे कुछ सुझाव और उपाय दिए गए हैं।

पहले बैच के लिए व्यवस्थाएँ: पहले बैच के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएँ की जाएंगी—

  1. शनिवार को व्रत का पारण करेंगे
  2. यदि आप तालाब के किनारे खड़े होकर मछलियों को आटे की गोलियां खिलाते हैं
  3. हनुमानजी की प्रतिमा पर सिन्दूर लगाएं

द्वितीय ढैय्या की व्यवस्था शनि की दूसरी ढैय्या के लिए निम्नलिखित उपाय करें

  1. गणेश जी की पूजा करें
  2. चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें
  3. काले टीन की शाखाएँ नदी में प्रवाहित होंगी

तुला राशि  जन्म से


जब शनि मकर और वृषभ राशि पर गोचर करता है, तो शनि के प्रभाव से तुला राशि मजबूत हो जाती है। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए नीचे कुछ उपाय और सुझाव दिए गए हैं अगर ध्यान दिया जाए तो यह लाभदायक हो सकता है
|

पहली परत की व्यवस्था:

  1. बहते पानी में शराब डालें
  2. काले घोड़े की नाल की अंगूठी धारण करेंगे
  3. कुएं में कच्चा दूध डालें
  4. अपना उपयोग सही रखें

द्वितीय ढैय्या के उपाय एवं टोटके – शनि की द्वितीय ढैय्या से लाभ होने पर तुला राशि के जातकों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

  1. हनुमानजी को सिन्दूर अर्पित किया जाएगा
  2. काले टिन का दाना नदी में बह जाएगा
  3. शनिवार व्रत लेंगे और सिद्ध शनियंत्र धारण करेंगे
  4. प्रतिदिन सुबह हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा

स्कॉर्पियो द्वारा कवर किया गया


गोचराष्ट: जब शनि गोचर में कुम्भ और मिथुन राशि पर आता है, तब शनि वृश्चिक राशि पर हावी हो जाता है।

 यदि जातक पर शनि की पहली और दूसरी ढैया का प्रभाव हो तो उपाय और टोटके नीचे बताए गए हैं।

शनि की पहली ढैय्या:

  1. नाव की कील का छल्ला बनाकर रखा जाएगा
  2. बहते पानी में शराब बहाएं
  3. शराब, मांस, मछली का सेवन न करें
  4. हनुमानजी के मंदिर में सिन्दूर चढ़ाएं और पूजा करें

दूसरे ढेर के लिए उपाय: दूसरे ढेर के लिए निम्नलिखित उपाय करें—

  1. पत्थर पर बैठकर दूध मिले पानी से स्नान करने से शनि का प्रकोप कम हो जाएगा
  2. चांदी का एक चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें
  3. मेवे पानी में बह जायेंगे
  4. शराब, मांस, मछली को न छुएं                                                             
धनु राशि से


जब शनि मीन और कर्क राशि पर गोचर करता है, तो धनु राशि कवर हो जाती है। फलस्वरुप दसों दोषों से मुक्ति पाने के लिए पहले और दूसरे ढैया के उपाय और टोटके नीचे दिए गए हैं।

प्रथम भाव के लिए उपाय: यदि शनि का प्रथम भाव धनु राशि के जातक को प्रभावित करता है तो जातक निम्नलिखित उपाय करेगा।

  1. इसके भोजन में से कुछ हिस्सा कौवे को खिलाएं इससे शनि का प्रकोप कम हो सकता है
  2. आटा बनाकर मछलियों को खिलाएं
  3. कुएं में कच्चा दूध डालें
  4. काले कपड़े न पहनें

द्वितीय ढैय्या की व्यवस्था: यदि द्वितीय ढैय्या जारी रहती है तो निम्नलिखित उपाय किये जायेंगे–

  1. चार किलो काली दाल बहते जल में प्रवाहित करें
  2. हनुमानजी को सिन्दूर का दान करेंगे
  3. चांदी का एक चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें 
मकर राशि से आच्छादित

 
जब शनि मेष और सिंह राशि पर गोचर करता है तो मकर राशि के शनि की ढैय्या लग जाती है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय और टिप्स फायदेमंद हो सकते हैं

पहली परत की व्यवस्था:

  1. काले घोड़े की नाल का छल्ला अवश्य धारण करें
  2. हनुमानजी की मूर्ति पर सिन्दूर का दान करना चाहिए
  3. बहते पानी में शराब की एक बोतल डालें
  4. कुएं में कच्चा दूध डालना चाहिए

दूसरे ढैय्या का उपाय – यदि दूसरा ढैय्या चल रहा हो तो निम्नलिखित उपाय करना चाहिए–

  1. मंदिर जाकर बादाम का प्रसाद चढ़ाएं
  2. जातक चांदी का टुकड़ा सदैव अपने पास रखेगा
  3. किसी अंधे व्यक्ति की सेवा करें और उसका आशीर्वाद लें
  4. पत्थर पर बैठकर दूध मिश्रित जल से स्नान करें इससे शनि के अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाते हैं

कुम्भ राशि


कुंभ राशि का शनि जब गोचर करते हुए वृष और कन्या राशि में आएगा तो उस व्यक्ति पर शनि का प्रभुत्व रहेगा।

प्रथम ढैय्या के उपाय : यदि जातक पर प्रथम ढैय्या का प्रभाव हो तो निम्नलिखित उपाय लाभकारी हो सकते हैं—

  1. शराब, मछली, मांस न खायें
  2. सांप को दूध पिलाओगे
  3. काले कपड़े न पहनें
  4. कौए को रोटी खिलायी जायेगी

दूसरे ढैय्या के लिए व्यवस्थाएँ: दूसरे ढैय्या के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएँ लाभकारी हो सकती हैं

  1. मेवे पवित्र धारा में बहेंगे
  2. नहाते समय पैर जमीन पर नहीं छूने चाहिए
  3. चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें
  4. शनि समाहित रहेगा
मीन राशि से आच्छादित


मीन राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति की जन्म राशि मिथुन और तुला में जब शनि गोचर करता है तो उस व्यक्ति पर शनि की दृष्टि रहती है। इसके अनिष्ट से बचने के लिए नीचे कुछ उपाय और टोटके दिए गए हैं यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं

पहली परत की व्यवस्था:

  1. प्रतिदिन सुबह हनुमान चालीसा का शुद्ध पाठ किया जाएगा
  2. मछलियों को शनिवार या प्रतिदिन आटा बनाकर खिलाएं
  3. हरा वस्त्र पढेगा
  4. बहते पानी में शराब बहाएं

दूसरी परत की व्यवस्था:

बहते पानी में काली दाल के बीज डालें इसे शनिवार के दिन करना बेहतर रहेगा

2. चांदी की गोलियां या चौकोर टुकड़े हमेशा अपने पास रखें

3. शनि यंत्र धारण करें और शनि व्रत करें

शनि की साढ़े साती क्या कहलाती है या क्या है :-

           जब शनि आपकी राशि के 12वें भाव में प्रवेश करता है तो आपकी शनि साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। यह महीने का पहला चरण है तब आपकी राशि में शनि का आगमन और आपकी अगली राशि से प्रस्थान क्रमशः साढ़े साती का दूसरा और तीसरा चरण पूरा करता है। प्रत्येक आधे सप्ताह की अवधि लगभग 2 वर्ष 6 माह होती है इस प्रकार उक्त तीनों स्थानों का निर्माण पूरा हुए साढ़े सात वर्ष बीत गये इसीलिए इसे शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है

 कोई भी व्यक्ति जीवन में साढ़े तीन सप्ताह से अधिक कष्ट नहीं उठाएगा या दिखाई नहीं देगा

शनि का प्रभाव क्या है? यदि गोचर के दौरान शनि आपकी राशि से चौथे या आठवें भाव में स्थित है तो यह शनि के प्रभाव से प्रभावित होता है। ये पांच राशियां शनि के प्रभाव में हैं

साढ़ेसाती के कष्ट एवं प्रभाव से मुक्ति के उपाय:-

 यदि आप शनि की दशा, प्रभाव या दृष्टि से पीड़ित हैं, तो इस अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए यहां कुछ उपाय दिए गए हैं:-

  1. यदि सिद्ध प्राकृत की आवश्यकता हो तो सिद्ध गुरुद्वारे में “ऐसती भोजपत्र यंत्र” धारण करना निश्चित ही शुभ रहता है।
  2. घर में पारद शिवलिंग और शनि यंत्र स्थापित करें
  3. अगर आप व्यापारी हैं तो साढ़ेसाती के प्रभाव को शांत करने के लिए रोजाना शिवलिंग की पूजा करें
  4. प्रतिदिन सुबह दक्षिणावर्ती शंख (छोटा या बड़ा) में जल भरकर उससे तीन बार गंडूष बनाएं
  5. महादेव का प्रिय एककोणीय रुद्राक्ष सदैव धारण करें एकमुखी रुद्राक्ष के अभाव में रुद्राक्ष की माला धारण करें
  6. शनि यंत्र, लॉकेट, शनि मुद्रिका, अंगूठी अवश्य रखें इसे प्रकार से पहले ही शुद्ध और स्थापित कर लेना चाहिए
  7. जप संख्या 19000, “ॐ प्रांग प्रिंग पुंग सः शनैश्चराय नमः” का जाप करें या किसी बुद्धिमान व्यक्ति से करवायें।
  8. यदि संभव हो तो प्रतिदिन शिव शंकर के मंदिर जाएं और शिव लिंग पर बेला के पत्ते मिश्रित दूध चढ़ाएं      मंत्र – “ओम नमः शिवाय”

आप उपरोक्त मंत्र का जाप कर सकते हैं रोग निवारण के लिए शिव-शंकर के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें

                        “ओम त्रयम्बं जजमहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्”।

                          कुर्बारुकामिबा वन्दना मृत्युमूर्क्षा यम अमृतात्।”

9. शुद्धि, चेतना और प्राण के बाद शनि रत्नमाला धारण करें पल का आंकलन अवश्य करें लीला की अनुपस्थिति में बिजामुरिया को ठहराया जा सकता है

10. घोड़े की नाल का छल्ला पहनें, इससे शनि का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है लेकिन आजकल यह दुर्लभ है इसलिए ध्यान रखें कि अश्वखुर का नाम लोहे के टुकड़े बेचने वाले एक दुष्ट व्यापारी की ध्यान विद्या है।

11. रामायण का सुन्दर भाग पढ़ना-

शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए चालीस दिनों तक पूरे विधि-विधान से रामायण की सुंदर चौपाईयों का पाठ करें।

12. शास्त्रों में वर्णित वस्तुओं का दान-

हर शनिवार को आप यथाशक्ति काली वस्तुओं का दान कर सकते हैं यदि संभव न हो तो हर शनिवार को महीने के दूसरे या तीसरे शनिवार को काले कपड़े (नए या पुराने) शंख बेली, तेल, तांबा, लोहा, चना आदि का दान करें।

13. शनि के प्रकोप को शांत करने के लिए– शनि के प्रकोप को शांत करने के लिए काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी हुई शनिवार की रोटी खिलाएं या किसी गरीब पीड़ित को बेसन और चने से बना भोजन खिलाएं।

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